दादा (स्वर्गीय श्री दयाल चन्द्र सोनी) के कुछ और शेर प्रस्तुत हैं – (8) कोई मुरादे हरकत पानी में है न अपनी धरती का ढाल ख़ुद ही सागर को जा रहा है। 22-12-1957 (9) सूरज की रोशनी से रोशन है गर ज़मीं यह तो है ज़मी से रोशन सूरज की रोशनी भी।। 31-03-1958 (10) ...