मानवेन्द्रनाथ राय का लेख पढ़ने से ऐसा प्रतीत होता है कि वे विज्ञान एवं धर्म के बीच एक पारस्परिक विरोध की दृष्टि रखते हैं। वे मानते हैं कि समय के साथ विज्ञान की जो वास्तविकता है इससे धर्मगत काल्पनिकताऍं हारती जारही हैं, पर मेरा मत संयोगवश काफी भिन्न है। मैं धर्म एवं विज्ञान के बीच ...