दादा (स्वर्गीय श्री दयाल चन्द्र सोनी) ने समय समय पर कुछ शेर लिखे थे उनमें से कुछ यहॉं प्रस्तुत हैं – (1) मेरी नज़र से आपको परहेज़ है अगर मेरे ज़हन में आके आप सोचते हैं क्यों। 18-01-1957 (2) क़ातिल ने शास्त्र पढ़ कर बकरे से यूं कहा होने हलाल से तो बेहतर है ख़ुदकुशी। ...