आओ बसंत लेखक -दयाल चन्द्र सोनी आओ बसंत, आओ बसंत हम कबसे तुम्हें बुलाते हैं ये गीत तुम्हारे गाते हैं क्यों आनाकानी करते हो मानो मुस्काओ तो बसंत आओ बसंत आओ बसंत। हम घोर शिशिर में कॉंप चुके हम पत्र पुराने झाड़ चुके नंगे भिखमंगे ठूंठ बने हम खड़े तुम्हारे दर बसंत आओ बसंत आओ ...