स्व. श्री दयाल चंद्र सोनी लिखित जैन भारती, जुलाई, 2001 के अंक में प्रकाशित लेख धर्मपालन के जो पाँच महाव्रत- अहिंसा, सत्य, अस्तेय, ब्रह्मचर्य एवं अपरिग्रह के रूप में गिनाए गए हें, वे गहरी दृष्टि से देखने पर अलग अलग पाँच महा व्रत नहीं हैं बल्कि एक ही मूल महाव्रत अर्थात् अहिंसा के पाँच आयाम ...