राज्यदंड या शासन एवं कानून की व्यवस्था मूलत: एक अवांछनीय व्यवस्था है, यह एक बुराई है, पर मजबूरी यह है कि एक अवांछनीय व्यवस्था तथा एक बुराई होते हुए भी मनुष्य जाति की जो वास्तविक दशा है उसमें यह आवश्यक है। इससे पूर्णतया बचने के जैसा युग अभी तक आया नहीं है। एक कल्पना रामराज ...