विनती गीता – (हस्तलिखित)

विनती गीता - (हस्तलिखित)
श्री दयाल चंद्र सोनी ने गीता के सार को संक्षेप में मेवाड़ी में लिखने का अथक प्रयास वर्षों तक किया और इसे विनती गीता का नाम दिया।  उनकी हस्तलिखित इस विनती गीता को यहाँ प्रस्तुत किया जा रहा है –

विनती गीता (मेवाड़ी भाषा में गीता सार)

जाण अमरता जीव जी, मरण देह रो जाण। मत कर निज कर्तव्‍य री, देह मोह वश हाण।।1।। है संपूरण सृष्टि में, व्‍याप्‍त राम भगवान। जिण सूँ कुदरत में नियम, अर घट में ईमान।।2।। है कुदरत रा नियम में, क्षरण-भरण रो संग। अर मर्यादाग्रस्‍त है, कुदरत रो हर अंग।।3।। मर्यादा सूँ ग्रस्‍त यो, क्षरण-भरण रो कर्म। ...