सरस्वती माँ मुझको वर दो, सारी उन्नतियों की कुंजी, मुझे अंक दो औ’ अक्षर दो।। पायी मानव देह सही है, पर इस घट में नेह नहीं है, हृदय ज्ञान का गेह नहीं है, करो दया चेतनता भर दो।। जीभ लिये जो गूंगापन है, कान लिये जो बहरापन है, आँख लिये जो ...
हम विद्या की ज्योति जगाएँ छोड़ भर्त्सना अंधकार की दीप शिखा बन उसे सजाएँ ।। 1 ।। अंधकार यदि अंधकार है अति प्रकाश हम पर प्रहार है तमपोषित निर्मल नयनों से दिव्य ध्येय के दर्शन पाएँ ।। 2 ।। पर उपदेश दंभ झंझा तज निवातस्थ का दीप गुहा निज अविचल प्रज्ञा दीप सँजोकर ...
आओ देश जगाएँ, नव विहान के अभिनन्दन में वंदन अर्ध्य चढ़ाएँ ।।1।। मुक्त गगन की अरुण विभा पर उदित तिरंगा मुदित दिवाकर खिलें सुमन प्राणों के मधुकर नूतन स्पंदन पाएँ ।।2।। उठो तजें आलस सदियों का रोकें घन बहती नदियों का बिजली औ’ जल की निधियों का वैभव विपुल बिछाएँ ।।3।। ...