किसे कहते हैं स्वास्थ्य ?

लेखक – दयाल चं‍द्र सोनी स्वास्थ्य का मतलब है मनुष्य का शरीर तो सही हालत में हो ही, साथ में उसका मन भी सही हालत में हो जो कि स्वस्थ हालत में तभी रह सकेगा, जबकि मनुष्य की बुद्धि शुद्ध हो जाये, शांत हो जाय, स्थिर हो जाय। ”स्वस्थ” मनुष्य वही है जो ”स्व” में ...

गाँधी जी और समाज शिक्षण

गाँधी जी के सिद्धान्तों का हनन होने की पीड़ा, सत्याग्रह जैसे अचूक हथियार के मर्म और गाँधी-विचारधारा में वास्तविक विश्वास रखने वाले गिने चुने व्यक्ति तथा संस्थाएं किस प्रकार अपने विश्वास को क्रियान्वित कर सकती हैं, इन पर प्रकाश डालने वाला स्वर्गीय श्री दयाल चन्द्र सोनी का आज से 41 वर्ष पूर्व सन् 1971 में ...

इस पटल की बढ़ती लोकप्रियता

विगत माह (नवम्बर 24 दिसम्बर 23) में इस शिक्षांजलि पटल को 31 देशों के लोगों ने देखा जिसमें सर्वाधिक (67%) भारत से थे और शेष (33%) अन्य 30 देशों से। भारत में 25 शहरों से इस पटल को देखा गया जिसमें लगभग आधे दर्शक 3 प्रमुख शहरों,  दिल्ली,   मुंबई और जयपुर के थे और बाकी ...

Increasing popularity of Shikshanjali.org

During last month, (November 24 to December 23, 2011) Shikshanjali.org was visited from 31 countries –majority visitors were from India (67%) and remaining (33%) were from the other 30 countries. Visitors from India belonged to 25 cities. Majority visitors (50%) were from 3 cities, namely New Delhi, Mumbai and Jaipur and remaining (50%) were from ...

निज भाषा के महत्व पर श्री भारतेंदु हरिश्चन्द्र के उद्गार

भारतेन्दु हरिश्चन्द्र (९ सितंबर १८५० – ७ जनवरी १८८५) आधुनिक हिंदी साहित्य के पितामह कहे जाते हैं। भारतेन्दु हिन्दी में आधुनिकता के पहले रचनाकार थे। इनका मूल नाम हरिश्चन्द्र था, भारतेन्दु उनकी उपाधि थी।  हिन्दी साहित्य में आधुनिक काल का प्रारम्भ भारतेन्दु हरिश्चन्द्र से माना जाता है। भारतीय नवजागरण के अग्रदूत के रूप में प्रसिद्ध ...

रामचरितमानस के लंकाकांड का एक प्रभावी अंश

सामान्यत: प्रसिद्ध धार्मिक ग्रंथ श्री रामचरितमानस के लंकाकांड को असुरों के साथ संग्राम और अंत में रावण वध की कथा से संबंधित माना जाता है और सुंदरकांड की तरह इसका बारंबार पाठ नहीं किया जाता लेकिन इसमें उच्च जीवन मूल्यों को प्रेरित करने वाला एक प्रभावी अंश है जो नीचे हिंदी भावार्थ के साथ प्रस्तुत ...

हिंदी गिनती – संख्या व शब्दों में (1 से 100 तक) – Hindi Numerals in Numbers and Words (1 to 100)

हिंदी में 1 से 100 तक की गिनती की हर संख्या के विभिन्न प्रचलित शाब्दिक स्वरूपों को ध्यान में रखते हुए  हर संख्या का एक इष्टतम शब्दरूप निम्न तालिका में प्रस्तुत है। हिंदी में संख्याओं को शब्दों में लिखने में एकरूपता की कमी है और एक ही संख्या को शब्दों में लिखने में कई कई ...

THE PROCESS OF YOUR LIFE SHOULD BE THE PROCESS OF YOUR EDUCATION

1.   The Necessity And The Ability To Learn Are Implicit In Human Nature The greatest and the most harmful illusion, from which our society is suffering today, is that ‘schooling’ and ‘education’ are synonymous. So, the most important task before all thoughtful and honest citizens in our society is to break this illusion. The origin ...

कुछ शेर – 2

दादा (स्वर्गीय श्री दयाल चन्द्र सोनी) के कुछ और शेर प्रस्तुत हैं –   (8) कोई मुरादे हरकत पानी में है न अपनी धरती का ढाल ख़ुद ही सागर को जा रहा है। 22-12-1957 (9) सूरज की रोशनी से रोशन है गर ज़मीं यह तो है ज़मी से रोशन सूरज की रोशनी भी।। 31-03-1958 (10) ...

आओ देश बनाएँ

आओ देश बनाएँ रचयिता – श्री दयाल चन्‍द्र सोनी आओ देश बनाएँ उजड़ा बाग लगायें फिर से बिछुड़ा नीड़ बसाएँ           ।।1।।   डाल डाल में हो हरियाली पात पात पर हो ख़ुशहाली आज चमन के हम ख़द माली कली कली खिल जाये       ।।2।।   सुस्‍ती छोड़ उठो सदियों की ठंड दूर हो हिम कणियों की ...

बसंत–3

बसंत लेखक -दयाल चन्द्र सोनी वह कहां लुका पावन बसंत, वह कहां उमंग हुलास कहां वे कहां लताएं अलि मंडित वे पत्र पुष खग कहां किस महा शिशिर का यह प्रकोप क्‍यों भरता ठंडी आह पवन यों तुहिन दग्‍ध सुनसान म्‍लान क्‍यों उजड़ा यह नंदन कानन कब से छाया है यह विषाद क्‍या तुम्‍हें होश ...

बसंत – 2

बसंत लेखक -दयाल चन्द्र सोनी कोई कलि हो तो मुसकाए कोई अलि हो तो बलि जाये लो ऋतु बसंत की आयी कोई कोयल हो तो गाये कोई रूठा हो मन जाये कोई ठंडा हो गरमाए जीवन की लाली छायी कोई दिल हो तो खिल जाये। पतझड़ के क्‍लेश भुलाए फिर नव परिधान सजाये टेसू की ...

बसंत – 1

आओ बसंत लेखक -दयाल चन्द्र सोनी आओ बसंत, आओ बसंत हम कबसे तुम्‍हें बुलाते हैं ये गीत तुम्‍हारे गाते हैं क्‍यों आनाकानी करते हो मानो मुस्काओ तो बसंत आओ बसंत आओ बसंत। हम घोर शिशिर में कॉंप चुके हम पत्र पुराने झाड़ चुके नंगे भिखमंगे ठूंठ बने हम खड़े तुम्‍हारे दर बसंत आओ बसंत आओ ...

कुछ शेर – 1

दादा (स्वर्गीय श्री दयाल चन्द्र सोनी) ने समय समय पर कुछ शेर लिखे थे उनमें से कुछ यहॉं प्रस्तुत हैं – (1) मेरी नज़र से आपको परहेज़ है अगर मेरे ज़हन में आके आप सोचते हैं क्‍यों। 18-01-1957 (2) क़ातिल ने शास्‍त्र पढ़ कर बकरे से यूं कहा होने हलाल से तो बेहतर है ख़ुदकुशी। ...

बचपन का वह संग हमारा

बचपन का वह संग हमारा
अपनी मातृ संस्था, विद्याभवन, उदयपुर के पूर्व छात्रों (Old Boys) ने सन् 1934 में अपनी एक संस्था (Old Boys Association) बनाने का संकल्प लिया जिसके माध्यम से वे आपस में और संस्था से जुड़े रह कर एक दूसरे के काम आ सकें तो इसका नाम स्वर्गीय श्री दयाल चंद्र सोनी ने ‘विद्याभवन विद्याबंधु संघ’ सुझाया ...