वास्तविक जनतंत्र – शिक्षक चुनने की स्वतंत्रता

जनतंत्र यो न्हीं हे के जनता शासकाँ ने चुन सके। वास्तविक जनतंत्र यो हे के जनता शिक्षकाँ ने चुन सके। (मेवाड़ी)

– दयाल चंद्र सोनी, शिक्षांजलि 1992

 "Jantantra yo nee hai ke janta shashakaan nai chun sakay. Vastavik Jantantra to woh hai ke janta shikshikan nai chun sakay."

जनतंत्र यह नहीं है कि जनता शासकों को चुन सके। वास्तविक जनतंत्र यह है कि जनता शिक्षकों को चुन सके। (हिंदी)

– दयाल चंद्र सोनी, शिक्षांजलि 1992

 "Jantantra ynee hai ke janta shashakaan nai chun sakay. Vastvik Jantantra to woh hai ke janta shikshikan nai chun sakay."

 

"The basis of real democracy is not in people choosing their rulers. Real democracy is when people can choose their teachers."

– Dayal Chandra Soni, Shikshanjali, 1992