आओ देश बनाएँ

आओ देश बनाएँ

रचयिता – श्री दयाल चन्‍द्र सोनी

आओ देश बनाएँ

उजड़ा बाग लगायें फिर से

बिछुड़ा नीड़ बसाएँ           ।।1।।

 

डाल डाल में हो हरियाली

पात पात पर हो ख़ुशहाली

आज चमन के हम ख़द माली

कली कली खिल जाये       ।।2।।

 

सुस्‍ती छोड़ उठो सदियों की

ठंड दूर हो हिम कणियों की

गरम पसीने की मणियों की

मॉं को भेंट चढ़ाएँ        ।।3।।

 

कसो कमर औ बाँह चढ़ा लो

यह कुदाल फावड़ा उठा लो

भरो टोकरी मिट्टी डालो

राह नई खुल जाये       ।।4।।

 

हमें भरोसा अपने बल पर

कोटि कोटि जनता के दल पर

नये भगीरथ बन भूतल पर

घर घर गंग बहायें          ।।5।।

 

विश्‍व गगन के पूर्व क्षितिज पर

उदित हिन्‍द का नया रजनिकर

विमल चॉंदनी बन वसुधा पर

सुधा किरण बरसाएँ         ।।6।।